दिल्ली में सम-विषम के बाद किराए की बसों में कम रही यात्रियों की भीड़

 



नई दिल्ली |अच्छा ये सफेद वाली बस भी अपने लिए ही थी क्या, यह तो पता ही नहीं था। इसलिए नहीं बैठे। अब वो तो चली गई। खैर, चलो अब दूसरी का इंतजार करते हैं। दो मिनट में डीटीसी की हरे रंग की बस आई और उसमें सवार होकर इंद्रपुरी बस स्टैंड पर खड़े अमन और साहिल अपने गंतव्यों पर चले गए। अमन और साहिल जैसे दिल्ली के बहुत से लोगों ने डीटीसी और क्लस्टर की बसों से सफर किया, जबकि किराए पर ली गई बसों को लोग समझ ही नहीं सके कि यह बसें भी उनके लिए ही हैं। हालांकि, ये सभी बसें बाकायदा बस स्टैंड पर भी रुकी।


 

स्थान : इंद्रपुरी, सुबह 8.30 बजे
बसों का इंतजार कर रहे यात्रियों को जैसे ही गंतव्य तक पहुंचने के लिए उस रूट की बस दिखी, उसकी तरफ दौड़ पड़े। सुबह के वक्त दफ्तर पहुंचने की जल्दी की वजह से किराए पर चलाई जा रही बसों के बजाय डीटीसी और क्लस्टर बसों में भी सवार होने लगे। सुबह से ही सड़कों पर 6400 से अधिक बसें अलग-अलग रूटों पर दौड़ने लगी थी।

स्थान : डाबड़ी मोड़ के पास, सुबह 9.30 बजे
डाबड़ी मोड़ के पास बस स्टॉप पर यात्री बसों का इंतजार करते रहे। आईटीओ, दरियागंज, राजघाट सहित पूर्वी दिल्ली जाने के लिए आगे के स्टॉप तक पहुंचने के बाद ही यात्रियों को इंतजार के बाद बसें मिलीं। इस मार्ग पर आरएल-75, 77 और आरएल-79 के अलावा बस संख्या 794 सहित अन्य बसें गुजरती हैं, लेकिन आईटीओ जाने के लिए एकमात्र बस 740 की सुविधा होने से यात्रियों ने जनक सिनेमा और सागरपुर से बसें ली। वहां भी सुबह के वक्त इंतजार के बाद भीड़ में बसों में यात्री सवार हुए।

स्थान : कश्मीरी गेट, दोपहर 1.30 बजे
कश्मीरी गेट से 729, 901, 214 सहित अन्य कुछ और रूटों पर बसों में काफी भीड़ रही। जैसे-जैसे दिन ढलता गया, डीटीसी और क्लस्टर बसों में भी भीड़ कम होने लगी। पूरे दिन किराये की बसों में भीड़ काफी कम रही, लेकिन उनकी सेवाएं जारी रहीं।


डीटीसी बसें यात्रियों की पहली पसंद


किराये की बसों में यात्रियों की भीड़ कम रही। अलग-अलग रंगों की बसों में स्क्रीन बोर्ड नहीं होने के बजाय पेपर पर रूट नंबर लिखे गए थे। इन बसों में पास मान्य है या नहीं, टिकट क्लस्टर की होगी या डीटीसी सहित कई ऐसे सवाल थे, जिनके जवाब मिलने तक बसें सामने से गुजरती रहीं। लाजवंती चौराहे के पास यात्रियों ने बताया कि सही वक्त पर अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए उस नंबर की बसें न मिलने की वजह से इंतजार करना पड़ा। जिसे जल्दी थी उन्होंने ऑटो या कैब का सहारा लिया तो जिनके पास थोड़ा वक्त था, इंतजार के बाद उन्होंने बसों में सफर किया।

मुश्किलों से निपटने के लिए सड़कों पर उतरीं 6400 से अधिक बसें
सम-विषम लागू होने से डीटीसी और क्लस्टर बसों के बेड़े में 850 से अधिक बसें शामिल किए जाने के बाद संख्या बढ़कर 6400 से भी अधिक हो गई। शाम तक बसों की संख्या में कुछ और बढ़ोतरी हुई। सफर के दौरान यात्रियों को सुरक्षित माहौल और मदद के लिए सभी बसों में मार्शल की तैनाती की गई। वाहनों को जानकारियां देने के लिए सिविल डिफेंस कर्मी भी मुस्तैद रहे। इस दौरान सभी बसों में महिलाओं को मुफ्त सफर के लिए पिंक पास भी सभी बसों में पहले से ही मुहैया कराए गए थे।

बाहरी दिल्ली में भी सुबह के वक्त बसों में रही अधिक भीड़
सुबह के वक्त बाहरी दिल्ली के नरेला, नजफगढ़, बवाना, पीरागढ़ी, नांगलोई सहित आसपास के इलाकों में चलने वाली ग्रामीण सेवाओं के तहत भी छोटे वाहनों की अधिक संख्या होने की वजह से बसों में भीड़ सामान्य रहीं। हालांकि, सुबह के समय कमोबेश सभी रूटों पर दफ्तरों की वजह से भीड़ अधिक रही।

ऑटो, कैब से मिली यात्रियों को राहत
हालात से निपटने के लिए किराये की बसें, ऑटो, कैब सहित कई और विकल्प होने की वजह से लोगों को पहले दिन भी सफर के दौरान कोई खास परेशानी का सामना न करना पड़ा। हालांकि, सुबह हुई देरी के कारण कुछ जगहों कैब और ऑटो का ही सहारा होने की वजह से लेागों को किराये के मद में अधिक खर्च करना पड़ा।

डीटीसी की करीब 900 अधिक बसें उतरीं सड़क पर 
डीटीसी के सीजीएम (पीआर) डॉ. आरएस मिन्हास के मुताबिक, अन्य दिनों की अपेक्षा करीब 900 अधिक बसें सोमवार को सड़क पर उतरीं। हायर की गई बसों में भी यात्रियों की सुविधा के लिहाज से फ्लैक्स पर नंबर लिखे गए हैं।