जम्मू-कश्मीर में राज्य पुनर्गठन एक्ट लागू होते ही उपभोक्ता अदालतें बंद, आम लोगों के करोड़ों फंसे

 


 



कोर्ट, कंज्यूमर फोरम - फोटो : फाइल फोटो

 

जम्मू |


राज्य पुनर्गठन एक्ट लागू होने के साथ ही 31 अक्तूबर से सभी जिला उपभोक्ता अदालतें बंद कर दी गईं। राज्य स्तरीय आयोग भी खत्म कर दिया गया। इसके चलते विभिन्न अदालतों में 10 हजार से अधिक मामले लटक गए हैं। 
 

परेशानी यह भी है कि जिन मामलों में अदालतों से अवार्ड हो चुका है उनमें पैसे का भुगतान भी लटक गया है। यह राशि करोड़ों में है। अब उपभोक्ता इंसाफ के लिए दर ब दर हो रहे हैं। 

अदालतों के बंद होने के साथ ही इनसे जुड़े दस्तावेजों तथा फाइलों को सीएपीडी विभाग में जमा करा दिया गया है। अब उपभोक्ताओं के न तो मामले दर्ज हो रहे हैं और न ही दर्ज मामलों में सुनवाई। 

सूत्रों के अनुसार सबसे अधिक मामले जम्मू व श्रीनगर कोर्ट में लंबित पड़े हैं। पहले इन दोनों कोर्ट में संभाग भर के मामले दर्ज होते थे। इस वजह से यहां मामलों की संख्या अधिक है। इन दोनों कोर्ट में तीन-तीन हजार से अधिक मामले लटक गए हैं। 

इसके साथ ही विभिन्न कोर्ट में भी मामले लंबित हैं। उपभोक्ता आयोग में 2500 से अधिक मामले चल रहे थे, जिन पर अब सुनवाई बंद हो गई। उपभोक्ता अदालतों में 10 लाख तथा आयोग में 10 लाख से ऊपर के मामलों की सुनवाई होती है। 

-मूल दस्तावेजों की सुरक्षा की चिंता
बताते हैं कि मामलों की सुनवाई के दौरान कई मुकदमों में उपभोक्ताओं ने मूल दस्तावेज जमा किए थे। इनमें जमीन तथा दुकान के कागजात समेत अन्य कई प्रकार के महत्वपूर्ण कागजात हैं। अब ऐसे उपभोक्ताओं को अपने दस्तावेजों के सुरक्षा की चिंता सता रही है। साथ ही यह भी पता नहीं चल पा रहा है कि यह दस्तावेज कब तथा कहां से मिलेंगे। 

-आयोग के सदस्यों का ढाई साल का कार्यकाल था बाकी
आयोग में अध्यक्ष व दो सदस्य होते थे। इनका कार्यकाल पांच साल का होता था। बताते हैं कि आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का अभी ढाई साल का कार्यकाल बाकी था। 

31 अक्तूबर से जम्मू-कश्मीर का उपभोक्ता सकते में है क्योंकि अदालतें बंद किए जाने से उपभोक्ताओं के सामने कोई फोरम नहीं रह गया। उपभोक्ता कानून 2019 अभी यूटी में लागू नहीं है। जो फैसले हो चुके हैं उनकी अवार्ड धनराशि के भुगतान के लिए कोई विकल्प नहीं है। मैं चाहता हूं कि 1986 एक्ट के तहत राज्य में जल्द से जल्द जिला एवं राज्य स्तरीय उपभोक्ता अदालतें शुरू की जाएं।
 -डीके कपूर, निवर्तमान सदस्य-उपभोक्ता आयोग